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गुमला : सोहराई जतरा में जमकर हुआ खोड़हा नाच, आकर्षण का रहा मुख्य केंद्र

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गुमलाः 
कोको टोली पहाड़टांड़, बिशुनपुर में सोहराई जतरा का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में जेएमएम के प्रवक्ता डॉ तनुज खत्री उपस्थित रहे। जतरा का मुख्य आकर्षण खोड़हा नाच रहा। करीब 112 खोड़हा के ग्रामीण परंपरागत भेष-भूषा में खोड़हा से मांदर-नगाड़े के साथ हज़ारों की संख्या में नाचते-गाते शामिल हुए। डॉ तनुज खत्री ने कहा कि सोहराई जतरा झारखण्ड की पहचान है। यही झारखण्ड की विशेषता है। इसी पहचान को मूर्त रूप देने के लिये मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 1932 के ख़ातियान को कैबिनेट से पास कराने का काम किया। 11 नवम्बर 2022 को विधानसभा से भी इसे पारित किया जाएगा।        

                                                                                                             
हमें पुरखों पर गर्व करना चाहिए 
विशिष्ट अतिथि के रुप में युवा सोशल एक्टिवेस्ट अनिल पन्ना मौजूद रहे उन्होंने कहा कि सोहराई जतरा झारखंड की सामाजिक-सांस्कृतिक विरासत है। इसे बचाए रखने की आवश्यकता है। सोहराई जतरा सांस्कृतिक एकता और आपसी भाईचारा का एक माध्यम है। आदिवासियों की पहचान जल जंगल ज़मीन,रीति रिवाज,भाषा,संस्कृति व परंपरा से है। यही इस सोहराई जतरा का मूल संदेश है। यह क्षेत्र नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के अंतर्गत आता है। मुख्यमंत्री ने फायरिंग रेंज के अवधि विस्तार न देकर यहां के आदिवासी मूलवासी को बचाने का काम किया है, इसके लिए सभी बिशुनपुर प्रखंड के निवासी धन्यवाद और आभार प्रकट करते हैं। अनिल पन्ना ने का कि हमें अपने पुरखों पर गर्व करना चाहिए जिन्होंने जनजाति समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए अनेक सामाजिक उपाय किए। 


ये सभी रहे मौजूद 
अनिल पन्ना ने का कि हमें अपने पुरखों पर गर्व करना चाहिए जिन्होंने जनजाति समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए अनेक सामाजिक उपाय किए। कार्यक्रम के अंत में  जतरा समिति के द्वारा सभी खोड़हा टीमों को सम्मानित किया गया। आयोजन को सफल बनाने में शेखर उराँव, सुनित उराँव, संतोष कुम्हार,रोबर्ट कुजूर, एडविन कुजूर,बोलोमीना उराँव, प्रभा मांझी,अर्जेन उराँव, जसिंता उराँव, सुमरीता उराँव, तेतरु पहान आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा। मंच का संचालन करमचंद उरांव ने किया । विशिष्ट अतिथि के रुप में पहड़ा बेल सतीश उरांव, पहड़ा दीवान रोशन उराँव,बनारी मुखिया बसनु उराँव,पड़हा बेल जयराम उराँव, भौवा उराँव, जनार्धन टानाभगत,भूषण टानाभगत,जहाँआरा कच्छप, प्रभाकर कुजूर आदि शामिल हुए।